बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान
प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
यौन संचारित रोग क्या है? महिलाओं एवं पुरूषों में एस. टी. डी. के सामान्य लक्षण क्या हैं? यौन संचारित रोगों का नियन्त्रण एवं रोकथाम लिखिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं?
2- भारत के प्रमुख यौन रोगों के नाम बताइये।
3- महिलाओं में एस. टी. डी. के सामान्य लक्षण लिखिए।
4- पुरूषों में एस. टी. डी. के लक्षण क्या है?
5- यौन रोगों पर नियन्त्रण हेतु उपाय लिखिए।
6- यौन रोग किन व्यक्तियों को हो सकता है?
उत्तर -
(Sexually Transmitted Diseases)
"यौन सम्बन्धों के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली बीमारियों को यौन 'संचारित रोग कहते हैं।' इसे STD (Sexually Transmitted Disease) भी कहते हैं।
STD यौन संभोग के द्वारा मुख्य रूप से फैलने के साथ-साथ अप्राकृतिक मैथुन द्वारा भी फैलता है। अप्राकृतिक मैथुन मौखिक रूप से तथा गुदा सैक्स करने से होता है।
STD जरूरी नहीं कि यौन सम्बन्धों द्वारा ही फैले इसके अलावा संक्रमित सुइयों, गर्भधारण के दौरान माँ से बच्चे में तथा संक्रमित व्यक्ति के रक्त ट्रांसफ्यूजन से भी फैल सकता है। यौन रोग जीवाणु, विषाणु, प्रोटोजोआ कवक एवं बाह्य परजीवी के द्वारा उत्पन्न होने वाले रोग हैं।
भारत के मुख्य यौन संचारित रोग - भारत के प्रमुख STD निम्नलिखित हैं-
(1) एच. आई. वी
(2) बैक्टीरियल वेजाईनोसिस
(3) लम्फोग्रेन्यूलोमा वेनेरीयम
(4) जेनाइटल वार्टस
(5) ट्राइकोमोनासिस
(6) नन- गोनाफोकल यूरिथेराइटिस
(7) सिफलिस
(8) पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीन
(9) गोनोरिया
(10) केन्डीडायसिस
(11) शैक्रॉइड
(12) गेन्यूलोमा इनग्विनेली
(13) हरपीज प्रोजेनाइन्टेलिस
(14) मोल्यूसकम कोन्टेजेसियस।
महिलाओं में यौन संचारित रोगों (STD) के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं।
(1) पेशाब या सैक्स के दौरान तकलीफ होना
(2) यौनि, गुदा, नितम्ब, जांघ या मुंह पर या उसके आस-पास घाव, छाले, चकत्ते आना।
(3) यौनि से असामान्य स्राव या रक्त स्राव होना।
(4) यौनि में या उसके आस-पास खुजली होना।
पुरूषों में यौन संचारित रोग (STD ) के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं-
(1) पेशाब या सैक्स के दौरान दर्द या तकलीफ होना।
(2) लिंग, अण्डकोष, गुदा, नितम्ब, जांघ या मुँह पर या उसके आस-पास घाव, छाले या चकत्ते आना।
(3) लिंग से असामान्य निर्वहन या रक्त स्राव होना
(4) अण्डकोषों में सूजन आदि।
यौन रोग किन व्यक्तियों को हो सकता है यदि कोई व्यक्ति असुरक्षित संभोग में संलिप्त
है, तो उसे यौन रोग होने की सम्भावनाएँ अधिक रहती हैं। इसके अलावा भी यौन रोग निम्नलिखित समूह के व्यक्तियों में होने की सम्भावनाएँ अधिक होती हैं। जैसे-
(1) जिन व्यक्तियों के कई यौन पार्टनर हैं।
(2) जिनके पार्टनर के कई यौन पार्टनर रह चुके हैं।
(3) सैक्स वर्कर्स
(4) संभोग के दौरान कंडोम का उपयोग नहीं करना।
(5) नशीली दवाइयों के आदी जो उच्च जोखिम वाले यौन व्यवहार का अभ्यास करते हैं।
(6) समलैंगिक यौन संभोग।
यौन संचारित रोगों का नियन्त्रण एवं रोकथाम -
यौन रोगों पर नियन्त्रण एवं रोकथाम के उपाय निम्नलिखित हैं.
(1) योजना निर्माण - यौन संचारित रोगों पर कारगर नियन्त्रण हेतु समस्या एवं प्राथमिकताओं का निर्धारण जरूरी है।
इन प्राथमिकताओं का निर्धारण उपलब्ध संसाधनों रोग के प्रसार, लक्ष्य समूह पर निर्भर करता है।
इनमें उम्र, लिंग, प्रभावित जनसंख्या, व्यवसाय, औषधीय लत, इत्यादि की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसके साथ ही रोग नियन्त्रण के लिए विभिन्न व्यूह रचना का निर्माण आवश्यक है।
(2) रोग का पता लगाना - रोगी की खोज करने के लिए संभावित यौन रोगियों में वैश्याओं, सैनिकों, पुलिस सिपाही, बन्दियों, घरेलू कर्मचारियों, पर्यटकों, गाइडो, औद्योगिक श्रमिकों, शरणार्थियों आदि को लक्ष्य समूह बनाकर अन्वेषण किया जाता है। गर्भवती महिलाओं तथा रक्त दाताओं में भी यौन रोगों का पता लगाने हेतु उपयुक्त जाँच जरूरी है।
(3) सम्पर्क ज्ञात करना - यौन रोग से पीडित व्यक्ति का सम्पर्क ज्ञात किया जाता है। उक्त यौन संचारी किस व्यक्ति के सम्पर्क में आने से हुआ है। उसको ज्ञात कर संक्रमित का इलाज किया जाता है साथ ही रोगी का भी इलाज किया जाता है।
(4) उपचार एवं नियन्त्रण - रोगी का पता लगाने के बाद यौन रोग संचारित रोगी का समुचित उपचार करना अति महत्वपूर्ण है।
(5) सामाजिक उपचार - यौन संचारी रोगों के प्रसार में सामाजिक कारकों की भूमिका विस्तृत है। अतः इन कारणों का पता लगाकर समुचित निराकरण करना आवश्यक है। सामाजिक उपचार में निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाना चाहिए-
(i) उपयुक्त आयु में विवाह ताकि संभोग के लिए अन्य साधनों का उपयोग न करना पड़े।
(ii) वैश्याओं का पुनर्वास।
(iii) समुदाय में स्वस्थ मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराना।
(iv) पत्र-पत्रिकाओं, समाचार-पत्र, रेडियो, दूरदर्शन पर अश्लील विज्ञापनों पर रोक लगाना।
(v) अश्लील चलचित्रों, पोर्नोग्राफी साइट्स अश्लील साहित्य पर प्रतिबंध लगाना।
(6) स्वास्थ्य शिक्षा - स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से बच्चों को जानकारी देना। यौन संचारी रोगों के कारणों, नियन्त्रण, लक्षणों, सावधानी आदि की जानकारी देना।
(7) व्यक्तिगत बचाव एवं अन्य उपाय
(i) संक्रमित इंजेक्शन सुइयों को दोबारा उपयोग में न लाना।
(ii) यौन सम्बन्धों के दौरान कन्डोम का प्रयोग करना।
(iii) सहवास के बाद यौन अंगों की सफाई करना।
(iv) रोग निरोधी टीका लगवाना।
(v) एक ही यौन साथी से यौन सम्बन्ध रखना।
(vi) यौन सम्पर्क के समय महिला द्वारा महिला कन्डोम या पुरुष द्वारा पुरूष कंडोम का उपयोग करके यौन रोग से अपने को संरक्षित कर सकते हैं।
(vii) लक्षणों का पता चल जाने पर जाँच एवं समुचित उपचार करना।
(viii) मॉनिटरिंग एवं मूल्यांकन यौन सम्बन्धी रोगों पर प्रभावी नियन्त्रण के लिए लगातार मॉनिटरिंग एवं मूल्यांकन जरूरी है ताकि समय के साथ उपचार संभव हो सके।
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- प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
- प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
- प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
- प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
- प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
- प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
- प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
- प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
- प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
- प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
- प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
- प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
- प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
- प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
- प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
- प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
- प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
- प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
- प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
- प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
- प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
- प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।